केवाईसी फॉर्म भराने भटकते हैं अशिक्षित गरीब और महिलाएं

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निकासी, केवाईसी आदि के लिए फॉर्म भराने भटकते हैं अशिक्षित गरीब और महिलाएं

रैपुरा स्टेट बैंक में केवाइसी के लिए लंबी कतारें पर फॉर्म भरवाने के लिए नहीं है कोई कर्मचारी

मैनेजर बोले ग्राहक खुद भरा कर लाएं फॉर्म यह हमारा काम नहीं।

शुक्रवार को बैंक में रोजाना की तरह खातों की केवाईसी कराने के लिए लंबी कतार लगी थी। बैंक के अंदर खड़े खड़े महिलाएं जमीन पर बैठी थी। हमने जाकर पूछा तो बोली घंटों से लाइन में लगे हैं, केवाईसी कराने के लिए आए हैं। पास ही एक साथ वर्षीय गरीब महिला बैंक के हर व्यक्ति के पास जा जा कर फॉर्म भरने का आग्रह कर रही थी परंतु उसकी कोई सुन नहीं रहा था। हमने एक बैंककर्मी से पूछा कि इस महिला का फॉर्म कौन भरेगा तो उन्होंने कहा उसे खुद ही भरवाना पड़ेगा। हमे जवाब संतोषप्रद नहीं लगा तो उस महिला को लेकर मैनेजर के पास गए और समस्या बताई कि इस महिला जैसी अनेक महिलाएं आती हैं उनका फॉर्म कौन भरता है तो उनका जवाब था कि इसमें ग्राहक को ही किसी परिजन या अन्य व्यक्ति से भरवा कर लाना होगा। बैंक इसमें उनकी कोई मदद नहीं कर सकता। न ही हमारे पास पर्याप्त कर्मी उपलब्ध हैं जो यह काम कर सकें।

बुजुर्ग महिला ने सुनाई आपबीती

रैपुरा से लगभग छः किलोमीटर दूर पुरैनी गांव की रहने वाली साठ वर्षीय कुसुम बाई लोधी बतातीं हैं कि पति नहीं है। घर में कुछ दिनों से राशन नहीं है कुछ दिन पहले कियोस्क से पैसे निकलने बंद हो गए तो बताया गया कि बैंक जाकर केवाईसी करा लो। सुबह सुबह आ गई थी शाम के चार बजने को है भूखे प्यासे परेशान हो गई हूं। कुछ कागज बोले थे तो कियोस्क से ले आई हूं पर फॉर्म भरने वाला कोई नहीं है। सब से कह चुकी हूं। कल फिर आऊंगी शायद कोई फॉर्म भर दे तो केवाईसी हो पाए तब जाकर राशन ले पाऊंगी।

यह सिर्फ एक की कहानी नहीं। बैंक के बाहर दुकानों में लोगो से आग्रह कर कर फॉर्म भरवाती हैं अशिक्षित महिलाएं एवं लोग।

रैपुरा स्टेट बैंक के बाहर दुकानों में हमे कई महिलाएं और लोग रोजाना मिल जाते हैं जो दुकानदाओं या तो वहां मौजूद लोगों से फॉर्म भरवाने का आग्रह करती नजर आ जाते हैं। बैंक खास और लोन वाले ग्राहकों को तो प्राथमिकता देता हैं पर ये गरीब और अशिक्षित लोग लिए तो ग्राहक सेवाएं शून्य नजर आतीं 

संवाददाता कैलाश सेन की खास रिपोर्ट

“May I Help” काउंटर की अनुपस्थिति वास्तव में ग्राहकों के लिए बड़ी परेशानी का कारण बन सकती है, खासकर उन लोगों के लिए जो बैंकिंग प्रक्रिया से अनभिज्ञ हैं या जिनके पास बैंकिंग सेवाओं का उपयोग करने का पर्याप्त अनुभव नहीं है।

इससे हो रही परेशानियां:

  1. सूचना का अभाव: बिना “May I Help” काउंटर के, ग्राहकों को यह नहीं पता होता कि उन्हें किससे या कहां मदद लेनी है। उन्हें सीधे बैंककर्मी से संपर्क करना पड़ता है, जो न केवल समय लेने वाली प्रक्रिया होती है, बल्कि अक्सर सही जानकारी भी नहीं मिल पाती।

  2. लंबी कतारों में इंतजार: बिना मार्गदर्शन के, लोग अपनी बारी आने तक कतार में खड़े रहते हैं, जबकि कुछ को केवल सामान्य जानकारी या मदद की आवश्यकता होती है। इससे समय की बर्बादी होती है, और ग्राहकों की संतुष्टि कम होती है।

  3. जटिलता में वृद्धि: विशेषकर वृद्ध लोग, महिलाएं और अशिक्षित लोग अगर खुद से प्रक्रियाएं न समझ पाएं, तो उन्हें परेशानी होती है। यदि कोई मार्गदर्शन देने वाला काउंटर न हो, तो वे अक्सर कर्मचारियों के पास जाने के लिए झिझकते हैं या कई बार दूसरे ग्राहकों से मदद मांगते हैं, जिससे माहौल और असुविधाजनक हो जाता है।

  4. गलत दिशा में जाने की संभावना: बिना मार्गदर्शन के लोग अपने काम को सही काउंटर पर नहीं कर पाते और बार-बार अलग-अलग जगहों पर जाते रहते हैं। इससे समय की और मानसिक थकावट की समस्या उत्पन्न होती है।

  5. बेहतर ग्राहक सेवा का अभाव: बैंक में काउंटर नहीं होने से ग्राहक सेवा में कमी महसूस होती है। ग्राहक को लगता है कि बैंक उनके लिए उतनी सुविधा नहीं दे रहा है, जितनी उम्मीद की जाती है।

समाधान:

  1. “May I Help” काउंटर की स्थापना: बैंकों को ग्राहकों की समस्याओं को पहचानते हुए एक विशेष काउंटर स्थापित करना चाहिए, जहां किसी भी ग्राहक को उनके काम के लिए सही दिशा-निर्देश मिल सकें। काउंटर पर प्रशिक्षित कर्मचारी हो, जो ग्राहकों की समस्याओं को हल कर सकें।

  2. समय प्रबंधन: ग्राहकों को समय की बचत और सही दिशा देने के लिए, काउंटर पर या बैंक की वेबसाइट/मोबाइल ऐप पर एक प्राथमिक मार्गदर्शन प्रणाली होनी चाहिए, जो ग्राहकों को बता सके कि उन्हें किस काउंटर पर जाना है।

  3. ग्राहक सहायता टेलीफोन लाइन: इस प्रकार की परेशानी से निपटने के लिए, एक हेल्पलाइन नंबर या चैट बोट की सुविधा भी हो सकती है, जिससे ग्राहक घर बैठे ही अपने सवालों के उत्तर पा सकें।

  4. बैंक में उपयुक्त संख्या में कर्मचारी: यदि कर्मचारियों की संख्या बढ़ाई जाती है, तो सभी प्रक्रियाओं का सही समय पर पालन किया जा सकता है और ग्राहकों को बेहतर अनुभव मिल सकता है।

निष्कर्ष: अगर “May I Help” काउंटर उपलब्ध हो, तो यह न केवल ग्राहकों के अनुभव को बेहतर बनाएगा बल्कि बैंक की कार्यक्षमता और प्रतिष्ठा को भी बेहतर करेगा। यह एक सरल लेकिन प्रभावी उपाय है, जो बैंकिंग प्रणाली को अधिक ग्राहकों के अनुकूल बना सकता है।

Pradhan Warta
Author: Pradhan Warta

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