बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में रेंजरों की निष्क्रियता व चौकीदारों की कमी के चलते जंगल में सक्रिय हुए शिकारी

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रेंजरों की निष्क्रियता व चौकीदारों की कमी के चलते जंगल में सक्रिय हुए शिकारी

बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में आए दिन हो रही घटनाएं

मानपुर विधानसभा मुख्यालय अंतर्गत विश्व विख्यात बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व नेशनल पार्क में इन दिनो शिकारी सक्रिय हैं जहां पहले करीब दर्जन भर जंगली हाथियों की संदिग्ध असामान्य मौत हो जाना और उसके बाद तेंदुआ की संदिग्ध परिस्थितियों में मौत होना इतना ही नही उसके बाद नन्हे हांथी शावक का भी सुरक्षा व्यवस्था के दौरान अचानक मौत हो जाना कहीं न कहीं पार्क प्रबंधन की लापरवाही और कार्यप्रणाली पर सवालिया निशान हैं।यह पार्क प्रबंधन की लापरवाही का ही परिणाम है जिसके चलते आए दिन जंगली जानवरों की मौत से पार्क प्रबंधन को सामना करना पड़ रहा है हाल ही में देखने मे आया कि शिकारियों द्वारा बांधवगढ़ के विशालकाय छोटा भीम नामक नर बाघ का शिकार करने के लिए फंदा लगाया गया था जिसमे बाघ तो फंस गया, लेकिन गनीमत रही की बाघ शिकारियों के हांथ आने से पहले ही मौके से भाग निकला जिसके बाद बाघ के गले में फंदा बड़ी ही बेरहमी के साथ कसा ही रह गया जिस कारण वह भोजन पानी ग्रहण करने में असमर्थ हो चुका था और मदद के लिए यहां से वहां जंगल में भटक रहा था। वहीं पार्क प्रबंधन भी बाघ को कब्जे में लेकर उसकी मदद करने की पुरजोर कोशिश में जुटा हुआ था लेकिन बाघ शिकारियों की प्रताड़ना से इतनी दहशत में था की वह किसी के हांथ आना नही चाहता था बाद पश्चात जब वह पूरी तरह कमजोर हो गया और जिंदगी और मौत से जूझने लगा तो वह एक गुफा का सहारा लिया और वहीं बैठ गया जहां करीब पांच दिन की कड़ी मशक्कत के बाद बाघ पार्क प्रबंधन के हांथ लगा जिसे अपने कब्जे में लेते हुए बाघ के गले से फंदा अलग किया गया और उसे समुचित इलाज हेतु उसे वन विहार भोपाल के लिए रेफर कर दिया गया। जहां वन्यप्राणी चिकित्सको की टीम के सतत निगरानी में उसका इलाज किया जा रहा है।

वर्षों से एक ही स्थान पर जमे रेंजरों की भूमिका संदिग्ध

गौरतलब हो कि इन दिनो बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व में शिकारी सक्रिय हो चुके हैं वहीं जानकारों का मानना है की क्षेत्र में कई वर्षों से एक ही जगह पर पदस्थ रेंजर अपने कर्तव्यो और जिम्मेदारी को भूल कर ऐशो आराम कर रहे हैं साथ ही जंगल की सुरक्षा व्यवस्था को छोड जंगल की रेत को स्थानीय रेत कारोबारियों से सांठ गांठ कर ट्रेक्टर टाली के माध्यम से रेत की तस्करी करा कर मोटी कमाई ऐठने की जुगत में लगे हुए हैं जिस कारण जंगल की सुरक्षा व्यवस्था भगवान भरोसे चल रही है। इतना ही नही जंगल के बफर जोन हिस्से के क्षेत्र में जिन चौकीदारों को जंगल गस्त करने के लिए लगाया गया था उन चौकीदारों से रेंजर व अन्य जिम्मेदार अधिकारी अपनी खातिरदारी करवा रहे हैं। अक्सर देखा जा रहा है की चौकीदार जंगल की सुरक्षा व्यवस्था को छोड़ जिम्मेदारों के बंगले में झाड़ू,पोछा,बर्तन,कपड़ा आदि काम करते नजर आ रहे हैं इसके अलावा अन्य जो चौकीदार जंगल ड्यूटी में तैनात रहते हैं उनसे जंगल की गश्ती छोड जिम्मेदारों द्वारा जंगल के मरम्मत कार्य जैसे लेंटाना उखड़वाना,लाइन सफाई,रोड मरम्मत,पोताई कार्य,कैंप मरम्मत आदि कई सारे ऐसे कार्य कराए जाते हैं जो बकायदे मजदूरों से कराना उचित होता है लेकिन जिम्मेदार फंड को डकारने की फिराक में उक्त कार्य चौकीदारों से करा कर बिल बाउचर में फर्जी तरीके से मजदूरों के नाम अंकित कर अच्छा खासा फंड एक ही झटके में डकार जाते है और विभाग के जिम्मेदारों के अलावा किसी को कानो कान खबर तक नहीं लगती। ऐसा भी नहीं है कि संबंधित मामले की जानकारी ऊपर बैठे जिम्मेदारों को ना हो बल्कि सब कुछ जानते हुए भी चुपचाप हांथ पर हांथ धरे बैठे हुए हैं।
सूत्रों की माने तो संबंधित अवैध कारनामों का बतौर नजराना चंद चांदी के सिक्कों की खनक बकायदे नीचे से ऊपर तक बैठे जिम्मेदारों तक पूरे ईमानदारी के साथ पहुंचाई जाती है जिसकी जनचर्चा इन दिनो क्षेत्र में जोर पकड़ा हुआ है कहीं ना कहीं यही एक वजह है जिस कारण एक ही जगह वर्षों से अंगद की तरह पैर जमाए रेंजर बैठे हुए हैं और प्रबंधन उनका बाल भी बांका नहीं कर सकता और उसी अवैध कमाई में मदमस्त जिम्मेदार अपने कर्तव्य को भूल बैठे हैं जिनका फायदा शिकारी उठा रहे हैं और जंगल में बड़ी ही आसानी से बिना किसी रोक टोक के प्रवेश कर जंगली जानवरों का शिकार कर फरार होने में सफल हो जाते हैं प्रदेश के लोकप्रिय यशस्वी मुख्यमंत्री डॉ.मोहन यादव जी से जनापेक्षा है कि संबंधित मामले को गंभीरता से लेते हुए बांधवगढ़ की शाख अगर बचानी है तो वर्षों से एक ही जगह पर तैनात रेंजरों को चिन्हित कर उनका तबादला किया जाए ताकि वर्षों की धरोहर विश्वविख्यात बांधवगढ़ टाइगर रिजर्व को इन तमासबीन चेहरों के अजीबो गरीब कारनामों के कारण बदनाम होने से बचाया जा सके और बांधवगढ़ की पुस्तैनी साख को बरकरार रखा जा सके।

Pradhan Warta
Author: Pradhan Warta

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