श्री राधा कृष्णा परम् मंदिर लखेरा कटनी में लगातार पिछले ७१ वर्षो से हरितालिका तीज का त्यौहार बड़े हर्षो उल्लास के साथ मनाया जाता है जिसमे महिलाये अपने पति की लम्बी उम्र की कामना कर भगवान शंकर पार्वती जी का पूजार्चन करती है
हरितालिका तीज हिंदू धर्म के विशेष पर्वों में से एक है, जो विशेष रूप से महिलाओं द्वारा मनाया जाता है। यह पर्व श्रावण मास के शुक्ल पक्ष की तृतीया को मनाया जाता है और इसे ‘हरितालिका तीज’ कहा जाता है। इस पर्व का महत्व और मान्यता निम्नलिखित हैं:
- पति की लंबी उम्र के लिए: हरितालिका तीज का प्रमुख उद्देश्य पति की लंबी उम्र और सुखमय जीवन की कामना करना है। इस दिन महिलाएं व्रत रखती हैं और उपवासी रहकर शिव और पार्वती की पूजा करती हैं, ताकि उनके पति के जीवन में कोई भी संकट न आए और उनका जीवन खुशहाल रहे।
- पार्वती माता की पूजा: यह पर्व विशेष रूप से मां पार्वती की पूजा के लिए मनाया जाता है। मान्यता है कि इसी दिन मां पार्वती ने भगवान शिव को पाने के लिए कठिन व्रत और तपस्या की थी। इस दिन पार्वती माता की पूजा करके महिलाएं भी अपने वैवाहिक जीवन में सुख-समृद्धि की कामना करती हैं।
- परंपराएं और रीति-रिवाज: इस दिन महिलाएं सुहागिन (विवाहित) व्रत रखती हैं और एक दिन का उपवासी रहकर विशेष पूजा-अर्चना करती हैं। कई महिलाएं इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करके व्रत की शुरुआत करती हैं और रात्रि को विशेष पूजा, कथा और आरती करती हैं। इस दिन महिलाएं हरी चूड़ियां पहनती हैं और हरी साड़ी या कपड़े पहनती हैं।
- रिश्तों की मजबूती: हरितालिका तीज पर पूजा करने से पति-पत्नी के रिश्ते में प्यार और समझ बढ़ती है। यह व्रत न केवल पति की लंबी उम्र के लिए किया जाता है, बल्कि यह परिवार में खुशहाली और संबंधों में मिठास लाने का भी माध्यम होता है।
- संस्कृति और एकता: इस पर्व के माध्यम से भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपराओं को बनाए रखने और महिलाओं के बीच भाईचारे और एकता को प्रोत्साहित करने का भी एक अवसर होता है। महिलाएं एक साथ मिलकर पूजा करती हैं, जिससे सामाजिक समरसता और परंपराओं के प्रति लगाव बढ़ता है।
हरितालिका तीज की यह पूजा और व्रत पारंपरिक मान्यताओं और धार्मिक आस्थाओं से जुड़ी हुई है, और यह भारतीय संस्कृति की एक महत्वपूर्ण भाग है।
Author: Pradhan Warta
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