मानपुर के पास दुलहरा में दिव्य भव्य श्री शिव महापुराण की हो रही है कथा

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मानपुर के पास दुलहरा में दिव्य भव्य श्री शिव महापुराण की चतुर्वेदी परिवार में हो रही है कथा

पूज्य सचिन शास्त्री जी”ने कहा भगवत प्राप्ति के अनेक साधन है। भगवद् प्राप्ति का आशय है – ब्रह्मा साक्षात्कार, आत्मा अनुभव, सत्य बोध, यथार्थ की प्राप्ति, वास्तविकताओं का अनावरण, जीवन संसिद्धि, जीवन की परिपूर्णता, परमानन्द अनुभव, संशय निवृक्ति, दुःख विभंजन और निरन्तर अभाव, अल्पता, न्यूनता से नियुक्त परमानन्द की स्थिति में शास्त्र अनेक साधनों में भक्ति-योग, कर्म-योग और ज्ञानयोग की चर्चा करते हैं। स्मरण रहे कि कोई भी साधन बिना श्रद्धा के सम्भव नहीं होता। भगवद् प्राप्ति मनुष्य जीवन का परम लक्ष्य है और इसके लिए अंतःकरण की शुद्धि अनिवार्य है, क्योंकि एक शुद्ध अंतःकरण ही भगवान के साथ सम्बन्ध स्थापित करने और उनकी कृपा प्राप्त करने का माध्यम बन सकता है। “पूज्य सचिन शास्त्री जी ने कहा कि नियमित रूप से साधना और भक्ति करना अंतःकरण को शुद्ध करने का सबसे महत्वपूर्ण मार्ग है। सांसारिक कामनाओं और आसक्ति को त्यागना आवश्यक है, क्योंकि वे अंतःकरण को दूषित करती हैं। इन्द्रियों को विषयों में न फंसाकर, उन्हें भगवान की सेवा में लगाना चाहिए। एक सच्चे गुरु की शरण में जाकर ज्ञान और मार्गदर्शन प्राप्त करना चाहिए।सत्य और धर्म के मार्ग पर चलना चाहिए, क्योंकि ये अंतःकरण को शुद्ध करते हैं। स्वभाव में परिवर्तन लाने का प्रयास करना चाहिए। सहिष्णुता, विनम्रता और उदारता जैसे अच्छे गुण विकसित करना चाहिए।भगवान के स्वरूप, नाम और लीलाओं में ध्यान केन्द्रित करना चाहिए। सत्कर्मों में संलग्न रहें। सत्कर्म के द्वारा भावना शुद्ध होती है। कर्मों का फल भगवान को समर्पित करें।अपने कर्मों के फल को भगवान को समर्पित करने से अंतःकरण शुद्ध होता। अशुद्ध अंतःकरण में क्रोध, लोभ, मोह, अहंकार जैसे दुर्गुण होते हैं। शुद्ध अंतःकरण में शान्ति, प्रेम, ज्ञान और आनन्द की भावना होती है। “पूज्य प्रभुश्री जी” ने कहा कि अंतःकरण की शुद्धि बड़ी उपलब्धि ब्रह्म-साक्षात्कार के लिए आइये करें – अंतःकरण की शुद्धि। जन्म-मरण, सुख-दुःख, जय-पराजय; जीवन की यात्राओं का कोई अन्त नहीं है ! किन्तु भगवत-प्राप्ति के बाद सभी यात्राओं का स्वतः ही अवसान हो जाता है , चतुर्वेदी परिवार कथा सुन और महाराज जी की कृपा का अनुभव कर प्रसन्नता के साथ अशोक चतुर्वेदी विद्याधर चतुर्वेदी रूपेश चतुर्वेदी परिवार निवेदन कर यह आग्रह कर रहे हैं कथा प्रेमी ज्यादा से पहुंचे ,कथा सांय 4 बजे से7 बजे सायं तकहोती है दिव्य अलौकिक कथा।

Pradhan Warta
Author: Pradhan Warta

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