देवी ब्रह्मचारिणी का पूजन नवरात्रि के दूसरे दिन किया जाता है। वे देवी दुर्गा का दूसरा रूप हैं और तप, साधना, एवं ब्रह्मचर्य का प्रतीक मानी जाती हैं। उनका स्वरूप सरल और सुंदर है, वे तपस्विनी के रूप में दिखाई देती हैं।
🌺 देवी ब्रह्मचारिणी की स्तुति (प्रशंसा गीत):
“ब्रह्मचारिणी महाकाय, साधना में नित लीन, तपस्विनी, ब्रह्मचर्या की, दिखलाती पथ सही। ध्यान में मग्न, माला फेरती, संयम का संदेश, जय ब्रह्मचारिणी देवी, हमें दो आशीर्वाद विशेष।”
🔔 देवी ब्रह्मचारिणी की आरती:
“जय ब्रह्मचारिणी, जय दुर्गा माँ, अर्चना की रौशनी से जागे सबका मान। तपस्विनी, साधना की रानी, हम पर करें दया, पापों को हर ले, माँ भवानी।”
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🕉️ पूजा विधि (पूजा करने का तरीका):
तैयारी:
पूजा स्थल को साफ करके वहां एक छोटा सा पाटी या मंच बनाएं।
देवी ब्रह्मचारिणी की तस्वीर या मूर्ति स्थापित करें।
दीपक, अगरबत्ती, फूल, फल, नारियल, पंखा, आभूषण आदि तैयार रखें।
अर्पण करें:
फूलों से देवी को सजाएं।
फल, मिठाई (जैसे कि आइसक्रीम, पंडित जी के अनुसार प्रसाद), नारियल और पान के पत्ते अर्पित करें।
देवी को कुमकुम, हल्दी, चावल, और दुर्गा सप्तशति के पत्ते अर्पित करें।
अर्चना करें:
जल से देवी को स्नान कराएं और फिर नए वस्त्र पहनाएं।
दीपक जलाकर देवी का आशीर्वाद मांगें।
मंत्रों का जाप:
देवी ब्रह्मचारिणी का विशेष मंत्र जाप करें: “ॐ ब्रह्मचारिण्यै नमः”
“ॐ दुं दुर्गायै नमः” जैसे मंत्र भी जाप सकते हैं।
आरती करें:
दीपक की आरती करें, जिसमें घी का दीया और कपूर जलाया जाए।
आरती के दौरान “ॐ जय दुर्गे” गाना या मंत्र जाप करना शुभ होता है।