“बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता बढ़ाने के लिए विशेष वैन ने परिसर में दी दस्तक”

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” शासकीय कन्या महाविद्यालय, कटनी में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से एक विशेष जागरूकता वैन परिसर में पहुंची   “

शासकीय कन्या महाविद्यालय, कटनी में बाल विवाह के खिलाफ जागरूकता फैलाने के उद्देश्य से एक विशेष जागरूकता वैन परिसर में पहुंची। इस वैन का संचालन महिला बाल विकास विभाग, कटनी द्वारा किया गया था। वैन पर लगे होर्डिंग्स के माध्यम से बाल विवाह के दुष्परिणामों और इसके खिलाफ जागरूकता बढ़ाने वाले कई प्रभावशाली स्लोगन लिखे गए थे। यह वैन न केवल महाविद्यालय तक सीमित रही, बल्कि शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में स्थित शासकीय और अशासकीय संस्थानों में भी पहुंचकर लोगों को बाल विवाह की हानियों के बारे में जागरूक किया। इस पहल का मुख्य उद्देश्य समाज में व्याप्त इस कुप्रथा को समाप्त करना और इसके कानूनी, सामाजिक व स्वास्थ्य संबंधी नुकसानों से लोगों को अवगत कराना था।
वैन पर लिखे गए स्लोगनों में से कुछ इस प्रकार थे: पहला, “21 साल से कम उम्र के लड़के एवं 18 साल से कम उम्र की लड़की का विवाह कानूनी अपराध है।” यह स्लोगन भारत में बाल विवाह निषेध अधिनियम के प्रावधानों की ओर इशारा करता है, जो कम उम्र में विवाह को अवैध घोषित करता है। दूसरा स्लोगन था, “बाल विवाह होने से लड़की कम उम्र में माँ बन जाती है, इससे उसका और उसकी संतान का जीवन संकट में आ जाता है।” यह संदेश बाल विवाह के स्वास्थ्य संबंधी खतरों को उजागर करता है, जिसमें किशोरावस्था में गर्भधारण से माँ और बच्चे दोनों के लिए जोखिम बढ़ जाता है। तीसरा स्लोगन, “बाल विवाह घड़ा ज्यों कच्चा, माँ बीमार कुपोषित बच्चा,” कुपोषण और स्वास्थ्य समस्याओं पर ध्यान केंद्रित करता है। चौथा स्लोगन, “बाबुल मोरा क्यों किया बाल विवाह? पढ़ने, पनपने की आयु में जीवन हुआ तबाह,” भावनात्मक रूप से प्रभावशाली था, जो यह दर्शाता है कि बाल विवाह लड़कियों के शिक्षा और विकास के अवसरों को नष्ट कर देता है।

इस अवसर पर महाविद्यालय की प्राचार्य डॉ. चित्रा प्रभात सहित कई वरिष्ठ प्राध्यापक और कर्मचारी उपस्थित रहे। इनमें डॉ. साधना जैन, डॉ. विमला मिंज, डॉ. रश्मि चतुर्वेदी, श्रीमती सुनीता श्रीवास्तव, डॉ. किरण खरादी, श्री के.जे. सिन्हा, श्री अमिताभ पांडेय, श्रीमती बंदना मिश्रा, श्री विनेश यादव, श्री नागेन्‍द्र यादव, श्री के.जी. सिंह, श्री भीम बर्मन, श्री प्रेमलाल कावरे, डॉ. पी.सी. कोरी, डॉ. रीना मिश्रा, श्री आंजनेय तिवारी, श्रीमती नम्रता निगम, श्रीमती आरती वर्मा, श्रीमती स्मृति दहायत, श्रीमती श्रद्धा वर्मा, श्रीमती रिचा दुबे, श्रीमती प्रियंका सोनी, श्रीमती सृष्टि श्रीवास्तव, डॉ. वंदना चौहान, डॉ. सपना झारिया, डॉ. स्मिता यादव, श्रीमती सुमन अहिरवाल, डॉ. प्रतिमा सिंह, डॉ. मैत्रयी शुक्ला, श्री मदन मरावी और श्रीमती रूबी बर्मन शामिल थे। इनके साथ ही महाविद्यालय की छात्राओं ने भी इस कार्यक्रम में सक्रिय भागीदारी की।

यह जागरूकता अभियान समाज में बाल विवाह के खिलाफ एक सशक्त संदेश देने में सफल रहा। छात्राओं और शिक्षकों ने इस अवसर पर बाल विवाह की रोकथाम के लिए अपनी प्रतिबद्धता व्यक्त की। इस तरह के प्रयास न केवल कानूनी जागरूकता फैलाते हैं, बल्कि सामाजिक बदलाव की दिशा में भी महत्वपूर्ण कदम साबित होते हैं। यह अभियान बाल विवाह के उन्मूलन और युवा पीढ़ी के सशक्तिकरण की दिशा में एक प्रेरणादायक पहल थी।
Pradhan Warta
Author: Pradhan Warta

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