प्रधानवार्ता न्यूज की समस्त टीम की तरफ से सभी देशवासियोंको
होली
की हार्दिक शुभकामनाएँ
“प्रधानवार्ता न्यूज की समस्त टीम की तरफ से सभी देशवासियों को होली की हार्दिक शुभकामनाएँ। यह पर्व आपके जीवन में खुशियाँ, रंग और समृद्धि लेकर आए। सभी के जीवन में प्रेम, भाईचारा और सुख-शांति का वास हो। होली के इस खास अवसर पर आप सभी का जीवन रंगों से भरा हो और हर दिल में खुशी का माहौल हो।”
होली हिन्दू धर्म का एक प्रमुख त्योहार है, जिसे रंगों और उमंगों के साथ मनाया जाता है। इसे बसंत ऋतु के आगमन और बुराई पर अच्छाई की विजय के प्रतीक के रूप में मनाया जाता है। होली मनाने के पीछे कुछ प्रमुख कारण हैं:
पौराणिक कथाएँ: होली का संबंध प्राचीन हिन्दू मिथकों से है, विशेष रूप से राक्षसी रानी होलिका और प्रह्लाद की कहानी से। होलिका ने अपने भाई हिरण्यकश्यप के आदेश पर प्रह्लाद को मारने की कोशिश की थी, लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गए और होलिका जलकर मर गई। इस प्रकार, होली बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक है।
बसंत ऋतु का स्वागत: होली का पर्व बसंत ऋतु के आगमन को भी प्रतीकित करता है, जब फूलों और रंगों की बहार होती है। इस समय प्रकृति में हरियाली और खुशहाली का माहौल होता है, जो जीवन में नवीनीकरण और खुशी का संदेश देता है।
समाज में भाईचारे को बढ़ावा: होली का पर्व समाज में भाईचारे और एकता को बढ़ावा देने का कार्य करता है। लोग एक-दूसरे को रंग लगाकर और मिठाइयाँ खिलाकर रिश्तों को और मजबूत बनाते हैं।
इस प्रकार, होली न केवल एक धार्मिक पर्व है, बल्कि यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक पर्व भी है जो खुशी, उमंग, और प्रेम का संदेश देता है।
होलिका दहन होली पर्व का एक अहम हिस्सा है, जिसे विशेष रूप से होली से एक दिन पहले मनाया जाता है। यह दहन बुराई पर अच्छाई की विजय और राक्षसी शक्तियों के नाश का प्रतीक माना जाता है। यह पर्व पौराणिक कथा से जुड़ा हुआ है, जो प्रह्लाद और उसकी बुरी बुआ होलिका की कहानी पर आधारित है।
स्वामी विवेकानंद वार्ड क्षेत्र की होलिका
स्वामी विवेकानंद वार्ड में पारिवारिक माहौल में होलिका दहन का आयोजन एक बहुत ही आनंदमय और सांस्कृतिक अवसर होता है। इस प्रकार के आयोजनों में स्थानीय लोग, विशेष रूप से परिवार के सदस्य, एक साथ मिलकर अपनी परंपराओं को मनाते हैं और इस पर्व के महत्व को समझते हैं।
होलिका दहन, जो होली के पहले दिन होता है, बुराई पर अच्छाई की जीत का प्रतीक है। इस दिन लोग लकड़ी और अन्य जलने वाली सामग्री एकत्र कर एक होलिका का ढेर तैयार करते हैं, जिसे फिर आग लगाकर जलाया जाता है। यह आयोजन पारिवारिक वातावरण में होता है, जिससे यह एक सामाजिक और सांस्कृतिक उत्सव बन जाता है।
स्वामी विवेकानंद वार्ड में इस प्रकार के आयोजन से न केवल पारिवारिक संबंधों को मजबूत किया जाता है, बल्कि समुदाय में एकता और भाईचारे का संदेश भी फैलता है। लोग एक-दूसरे के साथ मिलकर होली की खुशियों का अनुभव करते हैं, मिठाइयाँ खाते हैं, और रंगों के इस पर्व की शुरुआत करते हैं।
इस तरह का आयोजन न केवल बच्चों के लिए उत्साही होता है, बल्कि वृद्ध और युवा भी इसका हिस्सा बनकर अपनी परंपराओं को जीवित रखते हैं।
पौराणिक कथा: होलिका दहन की कथा के अनुसार, राक्षस राजा हिरण्यकश्यप ने अपने बेटे प्रह्लाद को भगवान विष्णु की पूजा करने से मना किया, लेकिन प्रह्लाद ने अपने विश्वास को नहीं छोड़ा। हिरण्यकश्यप ने अपनी बहन होलिका को आदेश दिया कि वह प्रह्लाद को मार डाले। होलिका को एक वरदान प्राप्त था कि वह आग में नहीं जल सकती थी। इसलिए होलिका ने प्रह्लाद को अपनी गोदी में बैठाकर आग में जलाने का प्रयास किया। लेकिन भगवान विष्णु की कृपा से प्रह्लाद बच गए और होलिका जलकर राख हो गई। इस तरह से होली का पर्व बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक बन गया।
-: होलिका दहन का महत्व :-
बुराई का नाश: होलिका दहन का उद्देश्य बुराई, अहंकार और नफरत को नष्ट करना है और अच्छाई, प्रेम और सद्भाव को बढ़ावा देना है।
प्राकृतिक परिवर्तन: यह समय बसंत ऋतु के आगमन का प्रतीक भी है, जो नए उत्साह, नए रंग और नवीनीकरण का प्रतीक है।
सामाजिक एकता: होलिका दहन समुदाय के बीच एकता और भाईचारे का प्रतीक है। लोग मिलकर अग्नि के चारों ओर परिक्रमा करते हैं, एक-दूसरे से गले मिलते हैं और खुशियाँ साझा करते हैं।
होलिका दहन के दिन लोग आंगन या खुले स्थानों पर लकड़ियाँ और अन्य जलने योग्य सामग्री एकत्रित करते हैं, और फिर अग्नि प्रज्वलित कर उसे राक्षसी बुराई का प्रतीक मानते हुए उसका दहन करते हैं। इस दौरान लोग खुशी और उमंग के साथ होली की शुरुआत करते हैं।
कटनी शहर में होलिका दहन का आयोजन बड़े धूमधाम और धार्मिक श्रद्धा के साथ विभिन्न क्षेत्रों में किया गया। हर क्षेत्र में इस पर्व का आयोजन अपनी-अपनी परंपराओं, सांस्कृतिक पहलुओं और स्थानीय विशेषताओं के अनुसार होता है।
1. स्वामी विवेकानंद वार्ड:
यहां होलिका दहन पारिवारिक माहौल में किया जाता है, जहाँ स्थानीय लोग एक साथ मिलकर बुराई पर अच्छाई की विजय का प्रतीक मनाते हैं। लोग लकड़ी और अन्य जलने वाली सामग्री से होलिका का ढेर तैयार करते हैं और इसको आग लगाकर जलाते हैं। इस दिन क्षेत्र में रंग-गुलाल, मिठाईयाँ, और भाईचारे का प्रतीक होते हैं।
2. नगर निगम क्षेत्र:
कटनी के नगर निगम क्षेत्र में होलिका दहन का आयोजन बहुत बड़े स्तर पर किया जाता है। यहां पर विशेष धार्मिक अनुष्ठान होते हैं, जिसमें स्थानीय लोग बड़ी संख्या में भाग लेते हैं। क्षेत्र में बड़ों और बच्चों के लिए सांस्कृतिक कार्यक्रम और रंग खेल की गतिविधियाँ आयोजित की जाती हैं।
3. गांधीगंज और अन्य बाजार क्षेत्र:
यहां पर भी होलिका दहन का आयोजन श्रद्धा के साथ होता है, और विशेष रूप से व्यापारिक लोग इसमें सक्रिय रूप से भाग लेते हैं। इस दिन यहां व्यापारियों के बीच मिठाईयां और शुभकामनाओं का आदान-प्रदान होता है। रंगों के त्योहार के साथ एकता और भाईचारे का संदेश दिया जाता है।
4. कटनी की अन्य कॉलोनियां:
कटनी शहर की विभिन्न कॉलोनियों में भी होलिका दहन का आयोजन पारंपरिक तरीके से किया जाता है। यहां पर सांस्कृतिक कार्यकम और बच्चों के लिए खास रंग और खेल गतिविधियाँ होती हैं, जिससे पूरा वातावरण खुशनुमा रहता है।
हर क्षेत्र में होलिका दहन का आयोजन कटनी शहर की सांस्कृतिक विविधता और सामूहिकता को प्रदर्शित करता है। यह त्योहार न केवल धार्मिक महत्व रखता है, बल्कि समाज में प्रेम, भाईचारे और एकता का संदेश भी फैलाता है।
सुभाष चौक क्षेत्र की होलिका
दक्षिण मुखी हनुमान मंदिर स्टेशन रोड क्षेत्र की होलिका
मरही माता मंदिर के पास के क्षेत्र की होलिका
आजाद चौक क्षेत्र की होलिका
जगन्नाथ चौक ( चांडक चौक ) क्षेत्र की होलिका
