विन्द्यवासिनी माँ खत्री पहाड़ बांदा का इतिहास धार्मिक और सांस्कृतिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है। यह स्थान उत्तर प्रदेश के बांदा जिले में स्थित है और यहाँ माँ विन्द्यवासिनी का एक प्रसिद्ध मंदिर है।
उत्तर प्रदेश के बांदा की प्रसिद्ध मां विंध्यवासिनी के खत्री पहाड़ मंदिर का बड़ा ही रोचक इतिहास है. कहा जाता है कि जब मां विंध्यवासिनी मिर्जापुर से नाराज होकर आईं तो खत्री पहाड़ ने मां का भार सहने से मना कर दिया. इस पर मां विंध्यवासिनी ने इसे श्राप दे दिया और यह पहाड़ कोढ़ी हो गया है, अर्थात आज भी पूरा सफेद है
केन नदी किनारे बसे शेरपुर के खत्री पहाड़ में विराजमान मां विंध्यवासिनी देश के प्रमुख 108 शक्ति पीठों में से एक है। जिस पर्वत पर मां का स्थान है उसका पत्थर सफेद रंग का है। कहते हैं कि देवी कन्या के शाप से ही इस पर्वत का पत्थर सफेद रंग का हो गया और तभी से पर्वत का नाम खत्री पहाड़ पड़ गया।
बांदा में मां योगमाया के श्राप से सफेद रंग का गिरवां का खत्री पहाड़ हो गया। मां दुर्गा के 108 शक्ति पीठों में विंध्यवासिनी का दरबार शामिल है। नवरात्र की अष्ठमी में खत्री पहाड़ में माता योगमाया दर्शन देती हैं।
इतिहास:
- पुरातात्विक महत्व: खत्री पहाड़ का क्षेत्र प्राचीन समय से ही धार्मिक गतिविधियों का केंद्र रहा है। यहाँ की पहाड़ियाँ और प्राकृतिक सौंदर्य भक्तों को आकर्षित करते हैं।
- मंदिर का निर्माण: विन्द्यवासिनी माँ का मंदिर यहाँ प्राचीन काल से अस्तित्व में है। इसे विभिन्न राजवंशों द्वारा विकसित और पुनर्निर्मित किया गया है। मंदिर में माँ की प्रतिमा और अन्य धार्मिक चिन्ह भक्तों के लिए आकर्षण का केंद्र हैं।
- श्रद्धालुओं का आना-जाना: हर साल हजारों की संख्या में श्रद्धालु यहाँ आते हैं। विशेषकर नवरात्रि जैसे त्योहारों पर यहाँ भव्य मेले का आयोजन किया जाता है।
- कथाएँ और मान्यताएँ: मान्यता है कि माँ विन्द्यवासिनी के दर्शन करने से भक्तों की मनोकामनाएँ पूर्ण होती हैं। यहाँ आने वाले लोग अपनी कठिनाइयों के लिए माँ से प्रार्थना करते हैं।
यह स्थान न केवल धार्मिक दृष्टि से महत्वपूर्ण है, बल्कि यहाँ की प्राकृतिक सुंदरता और शांत वातावरण भी लोगों को आकर्षित करता है।
बांदा के खत्री पहाड़ पर विराजमान मां विंध्यवासिनी से जुड़ी कुछ खास बातेंः
- बांदा के खत्री पहाड़ पर विराजमान मां विंध्यवासिनी देश के प्रमुख 108 शक्ति पीठों में से एक हैं.
- इस पहाड़ का पत्थर सफ़ेद रंग का है, जिसे कोढ़ी पहाड़ भी कहा जाता है.
- कहा जाता है कि मां विंध्यवासिनी ने इस पहाड़ को कोढ़ी होने का श्राप दिया था.
- मां विंध्यवासिनी के मंदिर में जाने के लिए श्रद्धालुओं को 511 सीढ़ियां चढ़नी पड़ती हैं.
- मां विंध्यवासिनी के मंदिर में हर साल नवरात्रि में मेला लगता है.
- इस मंदिर में मां विंध्यवासिनी के दर्शन करने के लिए देश के कोने-कोने से श्रद्धालु आते हैं.
- मान्यता है कि यहां आने से सभी मनोकामनाएं पूरी होती हैं.
- मंदिर में आने वाले मरीज़ों के रोग ठीक हो जाते हैं.
- नवविवाहित जोड़े सबसे पहले यहीं आकर आशीर्वाद लेते हैं.
मान्यता है कि मां विंध्यवासिनी ने मिर्जापुर धाम में विराजने से पहले शेरपुर (गिरवां) को अपने निवास के रूप में चुना था
Author: Pradhan Warta
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