नीम के पेड़ की जड़ से प्रकट हुई मरही माता की प्रतिमा

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डेढ़ सौ साल पुराना है मरही माता मंदिर का इतिहास

 
हर भक्त की पुकार सुनती हैं मातारानी, कष्टों से मिलती है मुक्ति

नवरात्र के पावन पर्व पर हम आपको ऐसे मंदिर से परिचित करा रहे हैं, जिसका इतिहास करीब डेढ़ सौ वर्ष पुराना है। यहां नीम के पेड़ की जड़ से मरही माता की प्रतिमा अचानक प्रकट हुई थी, जिसे उस समय सुखदेव प्रसाद बर्मन ने देखा और स्थानीय लोगों के सहयोग से मंदिर का निर्माण करवाया। यहां बर्मन परिवार की तीसरी पीढ़ी माता की सेवा में जुटी हुई है।

                                                                                   
शारदेय नवरात्र के पावन अवसर पर चंद्रशेखर आजाद वार्ड के बावली टोला स्थित मरही माता मंदिर आस्था और भक्ति का केंद्र बना हुआ है। यह मंदिर न केवल स्थानीय श्रद्धालुओं के लिए बल्कि दूर-दराज से आने वाले भक्तों के लिए भी विशेष महत्व रखता है। प्राचीनकाल से चली आ रही धार्मिक परंपराओं और आधुनिक समय की भक्ति का अनूठा संगम यहां देखने को मिलता है। मरही माता मंदिर में विराजमान डेढ़ सौ वर्ष प्राचीन प्रतिमा के दर्शन के लिए वर्ष भर श्रद्धालुओं का तांता लगा रहता है। मान्यताओं के अनुसार माता रानी हर भक्त की पुकार सुनती हैं और उनकी मनोकामनाएं पूर्ण करती हैं। यह विश्वास लोगों को दूर-दूर से यहां खींच लाता है। शाम होते ही यहां बड़ी संख्या में श्रद्धालु आकर अपनी मनोकामनाएं माता से मांगते हैं। माता के परम भक्त बद्री पंडा द्वारा यहां आने वाले श्रद्धालुओं की फरियाद माता तक पहुंचाई जाती है। ऐसा माना जाता है कि उन्हें माता से सिद्धी प्राप्त है और सिद्धि की इसी विधि से वे लोगों के कष्टों को दूर कर रहे हैं। यही कारण है कि कम समय में ही मंदिर की प्रसिद्धि दूर-दूर तक फैल गई है और लोग यहां पहुंचकर माता रानी के दर्शन करते हैं।

मंदिर का इतिहास और महत्व लगभग 150 वर्ष पुरानी एक रोचक कथा के अनुसार यह मंदिर एक चमत्कारिक घटना से जुड़ा हुआ है। मंदिर के वर्तमान पुजारी बद्री पंडा के अनुसार दो दशक पूर्व एक नीम के वृक्ष की जड़ों से माता की प्रतिमा प्रकट हुई थी। इस अद्भुत घटना के बाद उनके पूर्वज सुखदेव प्रसाद बर्मन ने स्थानीय लोगों के सहयोग से इस पवित्र स्थल पर मंदिर का निर्माण करवाया और मरही माता की प्रतिमा स्थापित करवाई। समय-समय पर लोगों के सहयोग से मंदिर परिसर का जीर्णोद्धार भी किया गया। बद्री पंडा का के साथ ही परिवार के सदस्य भीम बर्मन, नकुल बर्मन, करन बर्मन एवं अर्जुन बर्मन पूर्ण समर्पण के साथ माता की सेवा में लगे हुए हैं।
अष्टमी के दिन होगा हवन, नवमी पर विसर्जन मरही माता मंदिर में नवरात्र पर्व की अष्टमी तिथि के दिन 10 अक्टूबर को प्रात: 11 बजे से पूर्णाहूति हवन का आयोजन किया गया है, इसके पश्चात दोपहर 2 बजे से कन्या भोजन एवं विशाल भंडारे का आयोजन होगा। नवमी के दिन 11 अक्टूबर को जवारों का विसर्जन किया जाएगा। शाम 7 बजे मंदिर से एक भव्य जुलूस निकाला जाएगा, जो आजाद चौक होते हुए कटनी नदी तक जाएगा, जहां भक्तिमय वातावरण में जवारों का विसर्जन किया जाएगा।

Pradhan Warta
Author: Pradhan Warta

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