” त्रिकुट पर्वत पर विराजमान मां आदिशक्ति शारदे के दिव्य दर्शन आज नवरात्रि के प्रथम दिवस “
शारदीय नवरात्र का महत्व भारतीय संस्कृति और धर्म में बहुत अधिक है। यह त्योहार देवी दुर्गा की पूजा के लिए मनाया जाता है और इसे नौ रातों तक चलने वाले उत्सव के रूप में जाना जाता है। यहाँ इसके कुछ प्रमुख महत्व बताए जा रहे हैं:
- देवी की आराधना: नवरात्र का प्रमुख उद्देश्य देवी दुर्गा की आराधना करना है। इन नौ दिनों में विभिन्न स्वरूपों में देवी की पूजा की जाती है, जो शक्ति, ज्ञान और समर्पण का प्रतीक हैं।
- आध्यात्मिक विकास: इस समय उपवास और साधना करके भक्त अपनी आत्मा की शुद्धि करते हैं। यह समय आत्म-ज्ञान और ध्यान में भी महत्वपूर्ण होता है।
- संस्कार और परंपरा: नवरात्र भारतीय संस्कृति की समृद्ध परंपराओं और संस्कारों को बनाए रखने का एक साधन है। इसमें विभिन्न अनुष्ठान, भजन, कीर्तन और नृत्य का आयोजन होता है, जिससे सामुदायिक भावना बढ़ती है।
- शक्ति का प्रतीक: यह पर्व शक्ति और साहस का प्रतीक है। देवी दुर्गा की महाकवि कालिका की महाकवि रचना से प्रेरित होकर लोग अपने जीवन में कठिनाइयों का सामना करने की प्रेरणा प्राप्त करते हैं।
- सामाजिक एकता: नवरात्र के समय लोग एकत्र होते हैं, जिससे सामाजिक एकता और भाईचारे को बढ़ावा मिलता है। यह त्योहार विभिन्न समुदायों के बीच समर्पण और सहयोग का संदेश फैलाता है।
- ऋतु परिवर्तन: शारदीय नवरात्र के समय का कृषि से भी गहरा संबंध है। यह मौसम में बदलाव का संकेत देता है, जब फसलें पकने लगती हैं और नई शुरुआत होती है।
-: त्रिकूट पर्वत में विराजित माँ जगत जननी के प्रथम आरती के दर्शन :-
त्रिकूट पर्वत, जो कि मध्य प्रदेश के मैहर जिले में स्थित है, माँ शारदा के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है। यहाँ पर माँ शारदा के प्रतम दिवस के दर्शन का विशेष महत्व है। इस पर्वत की सुंदरता और आध्यात्मिकता इसे भक्तों के लिए एक पवित्र स्थान बनाती है।
माँ शारदा के दर्शन का महत्व:
- आध्यात्मिक ऊर्जा: त्रिकूट पर्वत पर स्थित माँ शारदा का मंदिर भक्तों को अद्वितीय आध्यात्मिक ऊर्जा प्रदान करता है। यहाँ आने वाले भक्त अपनी मनोकामनाएँ पूर्ण करने के लिए माता के चरणों में श्रद्धा के साथ प्रार्थना करते हैं।
- भक्तों का सैलाब: प्रतम दिवस, विशेष रूप से नवरात्र के दौरान, भक्तों की भारी भीड़ होती है। लोग यहाँ अपनी आस्था और श्रद्धा के साथ पहुँचते हैं, जिससे यह स्थान और भी दिव्य बन जाता है।
- पौराणिक मान्यता: त्रिकूट पर्वत का ऐतिहासिक और पौराणिक महत्व भी है। माना जाता है कि यह स्थान भगवान राम, माता सीता और भाई लक्ष्मण से संबंधित है। यहाँ पर देवी माँ शारदा की उपासना से भक्तों को मानसिक शांति और सुख की प्राप्ति होती है।
- प्रकृति का सौंदर्य: त्रिकूट पर्वत का प्राकृतिक सौंदर्य भी भक्तों को आकर्षित करता है। हरी-भरी पहाड़ियाँ, कलकल करती नदियाँ, और शांति का वातावरण यहाँ आने वाले भक्तों को एक अद्भुत अनुभव प्रदान करते हैं।
दर्शन की प्रक्रिया:
माँ शारदा के दर्शन के लिए भक्त पहले त्रिकूट पर्वत की चढ़ाई करते हैं। यहाँ पहुँचकर वे माता के चरणों में श्रद्धा पूर्वक निवेदन करते हैं। कई भक्त यहाँ उपवास भी रखते हैं और दिनभर माता की भक्ति में लीन रहते हैं।
इस प्रकार, त्रिकूट पर्वत पर माँ शारदा के प्रतम दिवस के दर्शन एक अत्यंत विशेष और आध्यात्मिक अनुभव होता है, जो भक्तों को आंतरिक शांति और शक्ति प्रदान करता है।
इस दौरान देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है, जिससे सुख-समृद्धि का आशीर्वाद प्राप्त होता है। इस बार 3 अक्तूबर 2024, गुरुवार से शारदीय नवरात्रि की शुरुआत हो रही है, जिसका समापन 11 अक्तूबर 2024 को होगा। अगले दिन 12 अक्तूबर 2024 को दुर्गा विसर्जन और दशहरा मनाया जाएगा।
Author: Pradhan Warta
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