श्री राधा कृष्ण प्रेम मंदिर में मनाया गया जन्मष्टमी महोत्सव

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“श्री राधा कृष्ण प्रेम मंदिर” है, जिसे 1953 में स्थापित किया गया था। यह मंदिर अपने धार्मिक आयोजनों और सांस्कृतिक कार्यक्रमों के लिए जाना जाता है।

हर वर्ष की भांति पिछले 71 वर्षों से, यह मंदिर लगातार “राधा कृष्ण जन्माष्टमी” और “राधा-ashtami” जैसे प्रमुख त्योहारों को बहुत धूमधाम से मनाता आ रहा है।

श्री राधा कृष्ण प्रेम मंदिर की परंपरा:

  1. धार्मिक उत्सव: हर साल, मंदिर में राधा कृष्ण के जन्मोत्सव (जन्माष्टमी) और राधा-ashtami (राधा जी की विशेष पूजा) के अवसर पर विशेष पूजा-अर्चना, भजन-कीर्तन, और धार्मिक कार्यक्रम आयोजित किए जाते हैं। ये उत्सव भक्तों के लिए एक महत्वपूर्ण अवसर होते हैं और मंदिर की भव्यता को दर्शाते हैं।
  2. सांस्कृतिक कार्यक्रम: पिछले 71 वर्षों से, मंदिर में विभिन्न सांस्कृतिक कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। इसमें धार्मिक नाटक, रासलीला, और भागवत कथा शामिल होती हैं, जो भक्तों को भगवान श्री कृष्ण और राधा जी की लीलाओं की कथा सुनाती हैं।
  3. समाज सेवा और सहायता: मंदिर समाज सेवा के क्षेत्र में भी सक्रिय है। इसने समय-समय पर गरीबों और जरूरतमंदों के लिए भोजन वितरण, शिक्षा सहायता, और स्वास्थ्य शिविर आयोजित किए हैं।
  4. धार्मिक शिक्षा: मंदिर में धार्मिक शिक्षा और संस्कार देने वाले कार्यक्रम भी आयोजित किए जाते हैं। यहाँ पर बच्चों और युवाओं के लिए धार्मिक कक्षाएं और सत्संग आयोजित किए जाते हैं, जो उन्हें आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।

निष्कर्ष:

श्री राधा कृष्ण प्रेम मंदिर की यह 71 वर्षों की लगातार परंपरा, यह दर्शाती है कि कैसे एक मंदिर धार्मिक, सांस्कृतिक, और सामाजिक गतिविधियों के माध्यम से समुदाय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। यह मंदिर भक्तों को न केवल भक्ति का अनुभव प्रदान करता है, बल्कि समाज में प्रेम और एकता का संदेश भी फैलाता है।

श्री राधा कृष्ण प्रेम मंदिर (1953) की स्थापना:

परिचय: श्री राधा कृष्ण प्रेम मंदिर, जो 1953 में स्थापित हुआ, एक प्रमुख धार्मिक स्थल है जो विशेष रूप से भक्तों को भगवान श्री कृष्ण और राधा जी की भक्ति की ओर प्रेरित करता है। इस मंदिर की स्थापना भक्तिपूर्ण उद्देश्य के साथ की गई थी ताकि लोग यहां आकर भगवान के दर्शन कर सकें और उनके साथ अपनी भक्ति और प्रेम को साझा कर सकें।

स्थापना की कहानी:

1953 में इस मंदिर की स्थापना का श्रेय उस समय के प्रमुख भक्त और समाजसेवी को जाता है, जिन्होंने भगवान श्री कृष्ण और राधा जी के प्रति अपनी गहरी भक्ति और प्रेम को ध्यान में रखते हुए इसे स्थापित किया। इस मंदिर का उद्देश्य न केवल धार्मिक गतिविधियों को बढ़ावा देना था, बल्कि समाज में एकता और प्रेम का संदेश फैलाना भी था।

मंदिर का महत्व:

  1. भक्ति और पूजा: मंदिर में भगवान श्री कृष्ण और राधा जी की पूजा अर्चना बड़े श्रद्धा भाव से की जाती है। यहाँ पर विशेष पूजा समारोह, भजन-कीर्तन, और अन्य धार्मिक गतिविधियाँ नियमित रूप से आयोजित की जाती हैं।
  2. समाज सेवा: मंदिर के प्रबंधन ने समाज सेवा को भी प्राथमिकता दी है। मंदिर में नियमित रूप से गरीबों और जरूरतमंदों के लिए भोजन वितरण और अन्य सहायता कार्य किए जाते हैं।
  3. धार्मिक शिक्षा: यह मंदिर धार्मिक शिक्षा और संस्कारों के प्रसार में भी सक्रिय है। यहाँ पर धार्मिक कक्षाएं और सत्संग आयोजित किए जाते हैं, जो लोगों को धार्मिक और आध्यात्मिक मार्ग पर चलने के लिए प्रेरित करते हैं।
  4. संस्कार और सांस्कृतिक कार्यक्रम: मंदिर में समय-समय पर सांस्कृतिक कार्यक्रम, जैसे कि रासलीला, भागवत कथा, और अन्य धार्मिक आयोजन भी किए जाते हैं, जो स्थानीय समुदाय को सांस्कृतिक और धार्मिक दृष्टिकोण से समृद्ध करते हैं।

निष्कर्ष:

श्री राधा कृष्ण प्रेम मंदिर का उद्देश्य न केवल भक्तों को भगवान श्री कृष्ण और राधा जी की भक्ति की ओर प्रेरित करना है, बल्कि समाज में प्रेम, एकता और सहिष्णुता का संदेश फैलाना भी है। 1953 में स्थापित यह मंदिर आज भी भक्तों की भक्ति और सेवा का केंद्र बना हुआ है और इसकी गतिविधियाँ समाज के लिए एक प्रेरणा का स्रोत हैं।

 

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Pradhan Warta
Author: Pradhan Warta

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